नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में भारत के इतिहास (history)के मुताबिक प्राचीन काल में भारत देश में अनगिनत राजा महाराजाओं का शासक (ruler)था। जिससे भारत देश के हर कोने में राजाओं की सल्तनत चलती थी और उन्ही के सल्तनत के मुताबिक किसी राज्य पर युद्ध करने का एलान किया जाता था। हालांकि भारतीय इतिहास में सिर्फ राजाओं के बारे में ही नहीं बल्कि रानियों के बारे में भी काफी कुछ सुनने को मिलता है।
वैसे आपने प्राचीन इतिहास में राजाओं की लड़ाई के बारे में तो काफी कुछ पढ़ा और सुना होगा। परंतु क्या आप जानते है कि में पुराने जमाने में आखिर क्यों राजा महाराजा एक से अधिक विवाह करते थे।एक से अधिक विवाह करना राजाओं का शौंक था या प्यारतथापि एक से ज्यादा विवाह करना राजाओं का शौंक था या उनकी प्यार ये बताते है। परंतु उस पहले हम आपको कुछ ऐसे राजाओं बता रहे जिन्होंने एक से कही अधिक विवाह की है और जिनके शौंक काफी अजीबोगरीब थे। तो आईए जानते है विस्तार से
यँहा भी पढ़े aharaja Bhupinder Singh की थीं 365 रानियां, जाने उनके खास महल में सिर्फ निर्वस्त्र ही महिलाए कर सकते थे एंट्री
1. पटियाला के महाराज इस तरह देते थे अपने जिवित होने का साक्ष्य
पटियाला के महाराज भूपेंद्र सिंह(Maharaja Bhupendra Singh) के बारे कहा जाता है कि महाराजा पटियाला के महल में रोजाना 365 लालटेनें जलाई जाती थीं। जिस पर उनकी 365 रानियों में से हर रानी का हर लालटेन पर नाम लिखा होता था। जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे। और बता दे एक नहीं दो नहीं बल्कि अठासी बच्चे थे , जिसमें दस पत्नियों से 83 बच्चे हुए थे जिनमें 53 ही जी पाए थे। और उनकी हरम में भी कई महिलाएं मौजूद रहती थी। आपको जान कर हैरानी होगी कि राजा भूपेंद्र सिंह साल में एक बार निर्वस्त्र हो कर हरम में जा कर परेड जरूर करते थे, ताकि उनकी पत्नियों को विश्वास
हो सके कि वे जीवित और स्वस्थ है।
हो सके कि वे जीवित और स्वस्थ है।
2.भरतपुर के महाराज किसन सिंह सिर्फ लड़कियो का शौकिन नही था बल्कि तैराकी का बहुत ज्यादा शौक
भरतपुर के महाराज किसन सिंह (Maharaj Kisan Singh) की बात करते है । आपको जान कर हैरानी होगी कि राजा किसन सिंह ने एक या दो नहीं बल्कि 40 विवाह (wedding)की थी। वही मगर हम उनके शौक की बात करे तो उन्हे तैराकी का बहुत अधिक शौक था। यहाँ तक कि अपने इस शौक को पूरा करने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते थे।महाराजा ने अपने शौक को पूरा करने के लिए गुलाबी संगमरमर वाली एक झील भी निर्माण कराया था।सिर्फ इतना ही नहीं इसके अलावा इस झील में उतरने के लिए चंदन की लकड़ियों वाली सीढियाँ निर्णाय कर ली। यहाँ चंदन की बीस सीढियाँ कुछ इस तरह बनी हुई थी।सिर्फ इतना ही नहीं इसके अलावा इस झील में उतरने के लिए चंदन की लकड़ियों वाली सीढियाँ बनवा ली। यहाँ चंदन की बीस सीढियाँ कुछ इस तरह बनी हुई थी। जिस पर दो व्यक्ति आराम से खड़े हो सकते थे।
तो हर रानी नग्नावस्था में उस सीढ़ीदार जीने पर खड़ी होकर राजा की रिसेप्शन करती और जब राजा स्नान के लिये तालाब में चले जाते तो बारी-बारी से सभी सीढ़ी पर खड़ी रानियाँ जल की अठखेलियों से राजा का स्वागत करती।इस तरह राजा तब तक उनसे जलक्रीडा करता था, तबतक आखिरी 20वीं सीढ़ी पर खड़ी रानियाँ राजा के साथ स्नान नहीं कर लेती थी।
Shah jahan के प्यार की हद बनी मुमताज की मौत की वजह
अब अगर हम मुगल बादशाह शाहजहां (Shah jahan) की बात करे तो इनके किस्से और कहानियों के बारे में तो आप सब बखूबी जानते ही होंगे। शाहजहां (Shah jahan) अपनी पत्नी(wife) मुमताज से इतना ज्यादा प्यार करते थे कि उनकी याद में ताजमहल तक बनवा दिया। अगर आपको जान कर हैरानी होगा कि अपने चौदहवे बच्चे को जन्म देने के दौरान मुमताज की मौत हुई थी और तब मुमताज की उम्र 39 साल थी।
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि शाहजहां (Shah jahan) अपनी पत्नी (wife) मुमताज(Mumtaz) से इतना ज्यादा प्यार करते थे कि उन्होंने मुमताज (Mumtaz)के अलावा अपनी किसी दूसरी पत्नी से बच्चे पैदा नहीं किए। ऐसे में लगातार बच्चों को जन्म देने के वजह ही मुमताज को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा था और इसी कारण उनकी मौत हो गई। परंतु मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने न सिर्फ अपनी चचेरी बहन से (Cousin) से विवाह की बल्कि आठ शादियां और भी कर ली।
एक से अधिक विवाह करने से साबित होता है राजाओं का मर्दानगी
राजा महाराजा पुराने जमाने में आखिर क्यों इतनी विवाह करते थे। इसका Answer ये है कि वो एक अधिक विवाह करके अपनी ताकत बताते थे इसलिए अपनी स्त्रीगृह में एक से अधिक रानियां रखने का शौक था और जिस राजा के जितने बच्चे होते थे, उसकी ताकत उतनी ही ज्यादा मजबूत मानी जाती थी। इसके इलावा ऐसा भी कहा जाता है कि जिस राजा की जितनी ज्यादा पत्नियां होती थी, उसके मर्दानगी का लोहा उतना ही अधिक माना जाता था।
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