नमस्कार दोस्तो आप सभी स्वागत है हम आपको बताएगे कलयुग के बाद क्या आएगा चलिए दोस्तो जानते है।
कलियुग का मतलब काला युग कलह-क्लेश का युग, जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो, सभी मानसिक रूप से दुखी हों। वह युग ही कलियुग है। इस युग में धर्म का सिर्फ एक चैथाई अंश ही रह जाता है। कलियुग का आरंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था। श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण में कलियुग के अंत का वर्णन मिलता है। कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा। जो पापियों का संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे। कलियुग के अंत और कल्कि अवतार के बारे पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है।
मनुष्य का एक मास पितरों का एक दिन रात। मनुष्य का एक वर्ष देवता का एक दिन रात। मनुष्य के 30 वर्ष देवता का एक मास। मनुष्य के 360 वर्ष देवता का एक साल (दिव्य वर्ष) मनुष्य के 432000 वर्ष। देवताओं के 1200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलियुग। मनुष्य के 864000 वर्ष देवताओं के 2400 दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग। मनुष्य के वर्ष देवताओं के 3600 दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग। मनुष्य के 1728000 वर्ष अर्थात देवताओं के 4800 दिव्य वर्ष अर्थात एक सतयुग। इस सबका कुल योग मानव के 4320000 वर्ष अर्थात 12000 दिव्य वर्ष अर्थात एक महायुग या एक चतुर्युगी चक्र।
सभी एक-दूसरे को लूटने में रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसा हो जाएगा। जो लोग ताकतवर होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता खत्म हो जाएगी। रिश्ते समाप्त हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही दुश्मन हो जाएगा। जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा।पुत्र पिता पिता पुत्र को मारेगे अपनी प्रशंसा के लिए लोग बड़ी-बड़ी बातें बनांगे किन्तु समाज में उनकी निन्दा नहीं होगी। उस समय सारा जगत् म्लेच्छ हो जाएगा- इसमें संशयम नहीं। एक हाथ दूसरे हाथ को लुटेगा।
कलियुग के अंत में होगी प्रलय श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं। जैसे जैसे घोर कलयुग आता जाएगा वैये उत्तरोत्तर धर्म सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का समाप्त होता जाएगा।अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।महाप्रलय बहुत काल तक सूखा रहने के बाद कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी। जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद तुरन्त ही एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।कलियुग के अंतिम में भयंकर तूफान और भूकंप ही चला करेंगे। लोग घरो में नहीं रहेंगे। लोग गड्डे खोदकर रहेंगे धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश खत्म हो जाएगा भूकंप आया करेंगा।
महाभारत में भी कलियुग के अंतिम में प्रलय आने का जिक्र है। लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा। सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। बारिश पूरी तरह बंद हो जाएगी। सब कुछ जल जाएगा इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।जल में फिर से जीवन की शुरुआत होगी।
महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों का पालन कोई नहीं करेगा।
कलयुग में शादी को धर्म नहीं माना जाएगा। शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे। बेटा भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे। कोई किसी कुल में जन्म ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा। सभी वर्णों के लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे। कलयुग में जो भी किसी का वचन होगा वही शास्त्र माना जाएगा।
कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा। महिला को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा। कलयुग में लड़किया धनहीन पति को छोड़ देंगी उस समय धनवान पुरुष ही लड़किया का स्वामी होगा। जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे। द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। सारा पैसा उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा। कलयुग की लुगाई अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा। अन्याय से धन पैदा करने वाले पुरुषो में उनकी आसक्ति होगी। कलयुग में सब लोग सदा सबके लिए समानता का बात करेंगे।
लोग लोन चुकाए बिना ही हड़प लेंगे तथा जिसका शास्त्र में कहीं विधान नहीं है ऐसे यज्ञों का अनुष्ठान होगा। मनुष्य अपने को ही पंडित समझेंगे और बिना प्रमाण के ही सब कार्य करेंगे। तारों की ज्योति फीकी पड़ जाएगी। दसों दिशाएं विपरीत होंगी। पुत्र पिता को तथा बहुएं सास को काम करने भेजेंगी। कलयुग में समय के साथ-साथ मनुष्य वर्तमान पर विश्वास करने वाले शास्त्रज्ञान से रहित, दंभी और अज्ञानी होंगे। जब जगत के लोह सर्वभक्षी हो जाएं स्वंय ही आत्मरक्षा के लिए विवश हो तथा राजा उनकी रक्षा करने में असमर्थ हो जाएंगे तब मनुष्यों में क्रोध-लोभ की बिढ़ी हो जाएगी।
फिर से सत्ययुग आरंभ कैसे होगा
और कितना वर्ष रहेगा कलियुग
मनुष्य का एक मास पितरों का एक दिन रात। मनुष्य का एक वर्ष देवता का एक दिन रात। मनुष्य के 30 वर्ष देवता का एक मास। मनुष्य के 360 वर्ष देवता का एक साल (दिव्य वर्ष) मनुष्य के 432000 वर्ष। देवताओं के 1200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलियुग। मनुष्य के 864000 वर्ष देवताओं के 2400 दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग। मनुष्य के वर्ष देवताओं के 3600 दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग। मनुष्य के 1728000 वर्ष अर्थात देवताओं के 4800 दिव्य वर्ष अर्थात एक सतयुग। इस सबका कुल योग मानव के 4320000 वर्ष अर्थात 12000 दिव्य वर्ष अर्थात एक महायुग या एक चतुर्युगी चक्र।
सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)
त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)
द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)
कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)
इस मान से कलियुग का काल 4,32,000 साल लंबा चलेगा। अभी कलियुग का प्रथम चरण ही चल रहा। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2016= 5118 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426882 वर्ष अभी बाकी है।
आगे जानिए कैसे होगा कलियुग का अंत
मनुष्य की औसत आयु 20 साल ही रह जाएगी 5 साल की उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाया करेगी। 16 साल में लोग वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष में मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। मनुष्य का शरीर घटकर छोटा हो जाएगा। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी। युवावस्था खत्म हो जाएगी। कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे, क्षीण और रोगग्रस्त होने लगेंगे।
कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं जैसे-जैसे घोर कलयुग आता जाएगा वैसे-वैसे उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का खत्म होता जाएगा।अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।
कलयुग के अंत में कल्कि अवतार
कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे।जिस समय कल्कि अवतार अवतरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी। जिस समय कल्कि अवतार आएंगे। चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बोने) के समान हो जाएंगे। गाय भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी।
कलियुग के अंत अन्न रहेगा
कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली-मांस ही खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे। गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी। होगी तो वह बकरी समान होगी। एक समय ऐसा आएगा जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। धीरे-धीरे ये सारी चीजें खत्म हो जाएंगी और गाय दूध देना बंद कर देगी।
कैसा इंसान का स्वभाव
महिला कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी। वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी। जिसके पास धन होगा उसी के पास लड़किया रहेगी। मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा दुस्सह, केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा। लोग विषयी हो जाएंगे। धर्म-कर्म का खत्म हो जाएगा। मनुष्य जपरहित नास्तिक व चोर हो जाएंगे।
सभी एक-दूसरे को लूटने में रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसा हो जाएगा। जो लोग ताकतवर होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता खत्म हो जाएगी। रिश्ते समाप्त हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही दुश्मन हो जाएगा। जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा।पुत्र पिता पिता पुत्र को मारेगे अपनी प्रशंसा के लिए लोग बड़ी-बड़ी बातें बनांगे किन्तु समाज में उनकी निन्दा नहीं होगी। उस समय सारा जगत् म्लेच्छ हो जाएगा- इसमें संशयम नहीं। एक हाथ दूसरे हाथ को लुटेगा।
कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा। बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा। महिला और मर्द दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे। महिला और मर्द से संबंधित सभी वैदिक रूल (rule) खत्म हो जाएंगे।
आगे कलियुग के अंत में होगी कैसी प्रलय
कलियुग के अंत में होगी प्रलय श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं। जैसे जैसे घोर कलयुग आता जाएगा वैये उत्तरोत्तर धर्म सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का समाप्त होता जाएगा।अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।महाप्रलय बहुत काल तक सूखा रहने के बाद कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी। जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद तुरन्त ही एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।कलियुग के अंतिम में भयंकर तूफान और भूकंप ही चला करेंगे। लोग घरो में नहीं रहेंगे। लोग गड्डे खोदकर रहेंगे धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश खत्म हो जाएगा भूकंप आया करेंगा।
महाभारत कलयुग अंत कहानी
महाभारत में भी कलियुग के अंतिम में प्रलय आने का जिक्र है। लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा। सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। बारिश पूरी तरह बंद हो जाएगी। सब कुछ जल जाएगा इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।जल में फिर से जीवन की शुरुआत होगी।
महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी। वेदों का पालन कोई नहीं करेगा।
कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा। महिला को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा। कलयुग में लड़किया धनहीन पति को छोड़ देंगी उस समय धनवान पुरुष ही लड़किया का स्वामी होगा। जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे। द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी। सारा पैसा उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा। कलयुग की लुगाई अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा। अन्याय से धन पैदा करने वाले पुरुषो में उनकी आसक्ति होगी। कलयुग में सब लोग सदा सबके लिए समानता का बात करेंगे।
कलयुग की प्रजा बाड़ और सूखे के भय से व्याकुल रहेगी। सबके नेत्र आकाश की ओर लगे रहेंगे। वर्षा न होने से इंसान तपस्वी लोगो की तरह फल मूल व् पत्ते खाकर और कितने ही आत्मघात कर लेंगे। कलयुग में सदा अकाल ही पड़ता रहेगा। सब लोग हमेशा किसी न किसी कलेशो से घिरे रहेंगे। किसी-किसी तो थोड़ा सुख भी मिल जाएगा। सब लोग बिना नहाये ही खाना करेंगे। देव पूजा अतिथि-सत्कार श्राद्ध और तर्पण की क्रिया कोई नहीं करेगा। कलयुग की स्त्रियां लोभी, नाटी, अधिक खानेवाली और मंद भाग्य वाली होंगी। गुरुजनों और पति की आज्ञा का पालन नहीं करेंगी तथा परदे के भीतर भी नहीं रहेंगी। अपना ही पेट पालेंगी, क्रोध में भरी रहेंगी। देह शुधि की ओर ध्यान नहीं देंगी तथा असत्य और कटु वचन बोलेंगी। इतना ही नहीं, वे दुराचारी पुरुषों से मिलने की अभिलाषा करेंगी।
ब्रह्मचारी लोग वेदों में कहे गए व्रत का पालन किए बिना ही वेदाध्यापन करेंगे। गृहस्थ पुरुष न तो हवन करेंगे न ही सत्पात्र को उचित दान देंगे। वनों में रहने वाले वन के कंद-मूल आदि से निर्वाह न करके ग्रामीण आहार का संग्रह करेंगे और सन्यासी भी मित्र आदि के स्नेह बंधन में बंधे रहेंगे। कलयुग आने पर राजा प्रजा की रक्षा न करके बल्कि कर के बहाने प्रजा के ही धन का लुट करेंगे। अर्घम मनुष्य संस्कारहीन होते हुए भी पाखंड का सहारा लेकर लोगों लुटने का काम करेंगे । उस समय पाखंड की अधिकता और अधर्म की वृद्धि होने से लोगो की आयु कम होती चली जाएगी। उस समय पांच, छह अथवा सात वर्ष की स्त्री और आठ, नौ, या दस वर्ष के पुरुषों से ही संतान होने लगेंगी। घोर कलयुग आने पर मनुष्य बीस वर्ष तक भी जीवित नहीं रहेंगे। उस समय लोग मानसिक रूप कमजोर व्यर्थ के चिन्ह धारण करने वाले बुरी सोच वाले होंगे।
लोग लोन चुकाए बिना ही हड़प लेंगे तथा जिसका शास्त्र में कहीं विधान नहीं है ऐसे यज्ञों का अनुष्ठान होगा। मनुष्य अपने को ही पंडित समझेंगे और बिना प्रमाण के ही सब कार्य करेंगे। तारों की ज्योति फीकी पड़ जाएगी। दसों दिशाएं विपरीत होंगी। पुत्र पिता को तथा बहुएं सास को काम करने भेजेंगी। कलयुग में समय के साथ-साथ मनुष्य वर्तमान पर विश्वास करने वाले शास्त्रज्ञान से रहित, दंभी और अज्ञानी होंगे। जब जगत के लोह सर्वभक्षी हो जाएं स्वंय ही आत्मरक्षा के लिए विवश हो तथा राजा उनकी रक्षा करने में असमर्थ हो जाएंगे तब मनुष्यों में क्रोध-लोभ की बिढ़ी हो जाएगी।
कलयुग के अंत के समय बड़े-बड़े भयंकर युद्ध होंगे, भारी वर्षा, प्रचंड आंधी और जोरों की गर्मी पड़ेगी। लोग खेती काट लेंगे, कपड़े चुरा लेंगे, पानी पिने का सामान और पेटियां भी चुरा ले जाएंगे। चोर अपने ही जैसे चोरों की संपत्ति चुराने लगेंगे। हत्यारों की भी हत्या होने लगेगी, चोरों से चोरों का नाश हो जाने के कारण जनता का कल्याण होगा। युगान्त्काल में मनुष्यों की आयु अधिक से अधिक तीस वर्ष की होगी। लोग दुर्बल, क्रोध-लोभ, तथा बुड़ापे और शोक से ग्रस्त होंगे। उस समय रोगों के कारण इन्द्रियां क्षीण हो जाएंगी।
फिर से सत्ययुग आरंभ कैसे होगा
फिर धीरे-धीरे लोग साधू पुरुषों की सेवा, दान, सत्य एवं प्राणियों की रक्षा में तत्पर होंगे। इससे धर्म के एक चरण की स्थापना होगी। उस धर्म से लोगों को कल्याण की प्राप्ति होगी। लोगों के गुणों में परिवर्तन होगा और धर्म से लाभ होने का अनुमान होने लगेगा। फिर श्रेष्ठ क्या है, इस बात पर विचार करने से धर्म ही श्रेष्ठ दिखाई देगा। जिस प्रकार क्रमशः धर्म की हानि हुई थी, उसी प्रकार धीरे-धीरे प्रजा धर्म की वृद्धि को प्राप्त होगी। इस प्रकार धर्म को पूर्णरूप से अपना लेने पर सब लोग सत्ययुग देखेंगे।इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।
19 Comments
Papi dunia hai 10 sal she jaida nahi calegi
ReplyDeleteSahi kaha
DeleteSahi hai
ReplyDeleteहै प्रभु जल्दी से ही कलियुग के अंत हो जाय ,दुबारा से सत्युग आ जाय ,फिर सुद्ध हवा मिले रंग बिरंगे बगीचे मिले सीतल हबा मिले ,
ReplyDeleteकलयुग समाप्त होने में अभी बहुत समय शेष है ...
Deleteहे महाकाल मै आपको नमन करता हूं कि अपने हमे कलयुग में भी अपने धर्म अधर्म पुराणों और शास्त्रों के दर्शन कराया है। अभी तो कलयुग का प्रभाव दिख रहा है परन्तु जा घोर कलयुग आ जाएगा तब क्या स्थिति होगी ये सोच कर भी में विचलित हो उठता है।
ReplyDeleteनाम प्रभु का जपते चलो अपने दिन भी कट जायेंगे
ReplyDeleteAlso Read कलियुग के संबंध में भगवान कृष्ण ने पांडवों को क्या स्पष्टीकरण दिया था? here https://hi.letsdiskuss.com/what-explanation-did-lord-krishna-give-to-the-pandavas-regarding-kali-yuga
ReplyDeleteराम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
ReplyDeleteBhai sabhi e-sub ke bare mein achcha sochne lagoge to ghor Kalyug kabhi bhi nahin aaega Jay Shri Ram Naam Prabhu ka 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
ReplyDeleteमा पिता की सेवा करो ईश्वर का गुण गाते रहो सभी कष्टों को हर लेगी मा भगवती कलयुग क्या कुछ भी आप के ऊपर हावी नहीं हो पाएगा जिसपे मा भगवती माता रानी की कृपा होगी उसका कोई क्या बिगड़ पाया है जय महामाई जय महाकाल
ReplyDeleteJay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram Shri Ram Jay Ram Shri Ram Jay Ram Jay Ram Jay Jay Ram Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram Ram Ram Ram Ram Ram Shri Ram Shri Ram Shri Ram Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram
ReplyDeleteकलयुग में केवल नाम का ही महत्व है भगवान का नाम जपते रहो सभी का कल्याण होगा
ReplyDeleteJai shree ram jai shree krishan jai mata rani
ReplyDeleteKalyug khatam hone mein kuch hi time bacha hai
ReplyDeleteHI.pemswar.Mata.o.meri.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA..Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA...maMata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Matajee.PITA.je.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.je.Mata.je.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.pitamata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.pitamata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata....Mata.pita.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.je.matajee.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.....Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.Matajee.pitajee.Mata.PITA.jeemata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata.PITA.Mata..pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.piat.mata.pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.piatich.Mata.pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.pita.Mata.pita..phulswer.Mata.kaleya..Amara.kumar.Good..Promise.in.
ReplyDeletema
ReplyDeleteBede purano ka manana h ki bhagwan bajrang bali Chiranjeevi h or aj bhi is dhara pe h to kyu na bhagwan bajrang bali ki saran me jaye bo to sankat Mochan Hanuman ji h bo hm manushya ki saare kast har lage ( jai shree ram)( har har mahadev) 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteBhawan shree hari narayan ka kalki avatar hone bala h is kalyug me Brahman ke ghar is liye apne kartbyo se dur nhi jaaye pure shrddha or nishtha se bhawan pe yakeen rakhe har har mahadev jai shiv shankar jai shree ram jai shree hari narayan
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