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Bihar में NDA से निकले nitish kumar किसको होगा सबसे ज्यादा फायदा और किसको समझिए Bihar की राजनीति


नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जो बार-बार पलटने के एक नए रिकॉर्ड बना रहे हैं और यह रिकॉर्ड इतिहास के पन्नों में नीतीश कुमार के नाम हमेशा दर्ज होंगे। नीतीश कुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह सत्ता लेंगे चाहे वह कैसे भी लेगे और उन्होंने इस बात साबित करके भी दिखा दिया लगभग 15 से 20 साल को बिहार की सत्ता पर राज्य कर लिया।और यह इतिहास के पन्नों में नीतीश कुमार के नाम में हमेशा दर्ज होंगी लेकिन नीतीश कुमार की वह धोखेबाज ही जो हमेशा अपने दोस्तो के साथ करते हैं यूं कहिए कि वो जिस पार्टी के साथ गठबंधन करते हैं उसको धोखा वह हमेशा देते हैं एक कहावत में बिहार की हमेशा कहा जाता है,ऐसा कोई अपना नहीं जिसे छवि कुमार ने ठगा नहीं।
Bihar में NDA से निकले nitish kumar किसको होगा सबसे ज्यादा फायदा और किसको समझिए Bihar की राजनीति


यह बातें बिहार की राजनीति में आम सी बात थी बिहार की राजनीति की बात की जाए तो हमेशा यहां कास्ट फैक्टर महत्वपूर्ण रोल निभाती है। 2019 में मोदी लहर में यह सब नहीं दिखा 2019 में इसकी खास वजह बताए  जा रहा ठीक 2019 की चुनाव प्रधानमंत्री के चुनाव थी जिसकी वजह से जाति समीकरण यूं कहिए कास्ट फैक्टर खत्म हो चुका है। आने वाला चुनाव बिहार में कास्ट फैक्टर महत्वपूर्ण रोल निभाया जा सकती यह देखने वाला वक्त बताएगा।
Bihar में NDA से निकले nitish kumar किसको होगा सबसे ज्यादा फायदा और किसको समझिए Bihar की राजनीति



लेकिन 2020 में चुनाव में राजनीति विश्लेषक को की बात माने तो उन सब का माना कि 2019 के चुनाव में महागठबंधन में Nitish Kumar शामिल होते है। इसमें महागठबंधन को नुकसान ही होगा क्योंकि महागठबंधन के जो वोटर हैं वह नीतीश कुमार के नाम पर कभी वोट नहीं करेंगे इसकी बड़ी वजह यह है कि महागठबंधन की अधिकतर वोटर नीतीश कुमार को पहले गठबंधन तोड़ने से नाराज है, इस वजह से महागठबंधन के वोटर नीतीश कुमार को वोट नहीं करेंगे इस मायने में देखा जाए जाए तो 2020 के चुनाव में बीजेपी को गठबंधन टूटने से भारी फायदा हो सकती है, भाजपा अकेले दम पर बिहार में सरकार बना लेगी जो कि बीजेपी के लिए फायदेमंद है यानी गठबंधन टूटने की स्थिति में बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद रहेगी।


 लेकिन महागठबंधन एक डूबी हुई नाव है, इस पर कोई भी चढ़ना नहीं चाहेगा या नीतीश कुमार राजनीतिक को समझते भी है और वह जानते भी हैं कि वर्तमान समय वह महागठबंधन में जाते हैं तो उनके लिए भारी नुकसान ही है। नीतीश कुमार कभी भी एंड यू छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे नीतीश कुमार बखूबी जानते हैं कि उनके लिए एनडीए छोड़ना नुकसान का सौदा ही साबित होगा।


नीतीश कुमार हमेशा करते हैं क्यों हुआ इंडिया में अभी भी है इसका मतलब नीतीश कुमार को को भी पता है कि महागठबंधन हो जाते हैं तो उनके लिए नुकसान ही साबित होगा ऐसा ही कोशिश अखिलेश यादव मायावती भी कर चुकी है जिसमें अखिलेश यादव मायावती को भारी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि गठबंधन वोटर बनने दूसरे पार्टी और चले जाते हैं जैसे कि जैसे कि भाजपा को यूपी में फायदा होते दिखा वहां पर मायावती और अखिलेश यादव आज ही मायावती और अखिलेश के गठबंधन टूटने का ऐलान भी हो गया है यूं कहिए कि गठबंधन की राजनीति में एक नया इतिहास यूपी में रखने की कोशिश की गई जो कि भाजपा ने तोड़ दिया।


 जिसका नतीजा यह निकला कि मायावती ने गठबंधन से अलग होना पड़ा, यानी गठबंधन की राजनीति जब निजी स्वार्थ राजनीति पर हावी हो जाती है तब ही गठबंधन बनती है यह जनता बखूबी जानती हैं, जाति कास्ट के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाना भी इतना आसान नहीं है। क्योंकि जनता बखूबी जानती है कि उसे कौन से पार्टी देश के लिए काम कर रहा है और कौन सा पार्टी कास्ट और जाति के लिए काम करता है, एक व्यक्ति को रोकने के लिए इतने सारे राजनीतिक दल एक हुए इससे जनता में यह संदेश चला जाता है ,कि सभी पार्टी भ्रष्टाचारी या देश विरोधी पार्टी है इसमें गठबंधन की राजनीति करने वाले पार्टी भी समझ चुके हैं कि यूपी से जो सबक मिला है उसके बाद बिहार की राजनीति में कोई भी  महागठबंधन में बनाने की गलती तो नहीं करेंगा

बिहार को राजनीति को समझना इतना भी आसान नहीं है कई राजनीतिक विश्लेषक भी बिहार की राजनीति को आसानी से नहीं समझ पाएंगे इसकी बड़ी वजह है कि राजनीति में कब लग जाए तो यह कहना आसान नहीं है बिहार की राजनीति कब क्या हो जाएगी अभी भी याद है नितीश कुमार और लालू प्रसाद यादव मिले थे तब बिहार में महागठबंधन की सरकार बन गई थी।
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वोट शेयर की बात करें की भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिली थी यानी भारतीय जनता पार्टी को जनता ने सबसे ज्यादा वोट किया था बिहार में भी वर्तमान परिस्थिति में देखे तो तो नीतीश कुमार अगर अलग होते हैं तो इसमें भाजपा के लिए फायदेमंद है भाजपा के लिए फायदेमंद ही है इसकी बड़ी वजह यह है कि नीतीश कुमार से जनता नाराज है जबकि नरेंद्र मोदी के नाम पर जनता खुश है यानी महागठबंधन के जो वोटर हैं वह भी नीतीश कुमार के नाम पर वोट नहीं करेंगे। 

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