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kumbh mela 2019 dates। युपी सरकार ने की बहुत अच्छा व्यवस्था लोग कर रहे तारीफ युपी सरकार और सीएम कीकुंभ मेला 2019 की 10 बड़ी बातें जो आप नही जानते है तो पढ़िए पुरा पोस्ट



नमस्कार दोस्तो आप सभी स्वागत आज के पोस्ट आपको बताएगे कुंभ मेला के १० बड़ी बाते है और बताएंगे  प्रयागराज्य के बारे बहुत से जानकारी  आपको पड़ता नही तो चलिए शुरू करते है।
जैसा की आप सभी जानते है इसबार प्रयागराज कुंभ मेला युपी सरकार काफी बेहतर सविधाए दी है और युपी सरकार ने की बहुत अच्छा व्यवस्था विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग  कर रहे तारीफ कह रहे है इस पहले ऐसी सविधा किसी सरकार नही की वर्तामान पर का और सीएम योगी आदित्यनाथ बहुत शुक्रिया कह रहे है लोग ।वर्ष २०१९ की कुंभ मेला बहुत ही भव्य दिखता है लेकिन आज हम बताने कुंभ मेला जुड़े १० बड़ी बाते  जिसे आप नही जानते  है।

(१.) कुंभ मेला नागा साधुओं की तपस्या


कुंभ के दौरान खून जमा देनेवाली सर्दी में जहां सभी लोग गर्म कपड़ों से नजर आते हैं। वहीं नागा साधुओं का तप और तपस्या जनवरी और फरवरी की ठंड पर भारी पड़ती है जी हाँ दोस्तो नागा साधुओं सिर्फ कुंभ मेला ही दर्शन देते है इसके अलावा वो कठिन तपस्या हिमालय करते है और इसलिए सिर्फ कुंभ मेला में ही नागा साधु नजर आते है।


(२.) संस्कृति का अभिन्न अंग


साधु-सन्यासी और अखाड़े भारतीय पुरातन संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। सन्यास की भी अपनी संस्कृति होती है। अलग रिवाज और नियम-कायदे कुंभ के दौरान नजदीक जाने मौका मिलेगा। और साधु-सन्यासी कठिन तपस्या के बारे में जान सकते है।

(३.) कुंभ मेला के इतिहास पहली बार किन्नर अखाड़े की निकाली गई पेशवाई

बता दें कि इससे पहले १३ अखाड़ों को ही पेशवाई का अधिकार था जिसमें किन्नर शामिल नही थे। लेकिन इतिहास पहली जूना अखाड़े के साथ मंगलवार को किन्नर अखाड़ा प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने पेशवाई निकाली और त्रिवेणी में शाही स्नान किया। यह पहली बार था जब किन्नर अखाड़े ने कुंभ में शाही स्नान किया है। 
(५.) कुंभ मेले प्रयागराज्य नजारा कुछ अलग
कुंभ के रंग में प्रयागराज इस बार कुछ अलग अंदाज में रंगा है। यहां की दीवारें पुल और गलियां सभी एक स्वर में पौराणिक कथाएं सुना रही हैं। धर्म ग्रंथों में लिखे ऋषि-मुनियों के नाम से हमारा साक्षात्कार करा रहा हैं।
(६.)  संत करने जा रहे हैं ये नई परंपरा शूरूआत
इस कुंभ की खास बात ये है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब यहां जुटे साधु- संतों नेदेहदान की घोषणा कर इस नई परंपरा की शुरुआत की है। उन्होंने कहा है कि वे मेडिकल साइंस (medical science) के लिए अपना देहदान करेंगे जिससे मानवता का कल्याण
हो सके।

(५)  कुंभ क्या है जानिए इसके बारे में

कलश को कुंभ कहा जाता है। कुंभ का अर्थ होता है घड़ा। इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकले अमृत कलश से जुड़ा है। देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जहां भी ये बूंदें गिरी उस जगह पर तब से कुंभ का आयोजन होता है। उन ३ नदियों के नाम है इस प्रकार  =  गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा।


(६.)  कुंभ मेला २०१९ में लग्ज़री टैंट में ठहरने का होगा मौका 

कुंभ मेले के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब श्रद्धालु लग्ज़री टैंट में रूकेगे।अपने बजट के हिसाब से पर्यटक डीलक्स, सुपर डीलक्स और सुइट में से चुन सकते हैं। इन टैंट का १० हजार  रोजाना कीमत से मिलेगी। इसके अलावा इस बार हेलिकॉप्टर व्यू और लेजर शो भी मिल रहा है ये कह सकते है इस बार युपी  सरकार ने इसके लिए काफी तैयारी पहले से कर ली है ।

(७.) कुंभ मेला लंगर का आयोजन

इस दौरान खाने की कोई समस्या नहीं होती क्योंकि जगह-जगह लंगर चल रहे होते हैं इनमें साधु सन्यासियों के साथ आम आदमी को भी भोजन कराया जाता है। यहां भोजन के लिए एक सोशल कम्युनिटी (social community) एरिया बना होता है जँहा भोजन दिया जाता है।
(८.) इस बार कुंभ मेला शाही स्नान
इस कुंभ मेला का शाही स्नान आगाज़ १५ जनवरी २०१९ से गया है इस कुल ६ प्रमुख स्नान तिथियां  शाही स्नान पड़ रहा है। (१.) जिसका पहला मकर संक्रांति (Makar Sankranti) १६ जनवरी , (२.) पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) २१ जनवरी  (३.) मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya, 4 February, 2019) (५) 4. बसंत पंचमी (Basant Panchami, 10 February, 2019) (६.) माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima, 19 February, 2019) (७.) महाशिवरात्रि (Maha Shivratri, 4 March, 2019)

(९.) तीन भागों में बंटे हैं 14 अखाड़े


सभी 14 अखाड़ों को संन्यासी, बैरागी और उदासीन भागों में बांटा गया है। सबसे पहले संन्यासी अखाड़े, फिर बैरागी और अंत में उदासीन अखाड़ों के साधु-संतों ने स्नान किया। सभी अखाड़ों को स्नान के लिए 30 से 45 मिनट का समय दिया गया था। 
(१०.) प्रयागराज्य अगला कुंभ कब लगेंगा
कुंभ के लिए जो नियम-कायदे निर्धारित किया गया है उसके अनुसार प्रयागराज्य में कुंभ तब लगता है जब माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरू मेष राशि में होता है। यही संयोग वर्ष
१९८३ (1989) , २००१(2001) , २०१८(2018) के बाद अब अगला महाकुंभ मेला यहां पर २०२५ (2025 में लगेगा। 

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