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जानिए काला पानी की सजा का नाम सुनकर क्यों कांप उठा आज भी लोग जानिए काला पानी की जानिये दर्दनाक कहानी




भारत लगभग 200 वर्ष तक  के लिए अंग्रेजों का गुलाम था और भारत की स्वतंत्रता के लिए, लाखों व बहादुर सैनिको दर्द यातनाएं झेली  जेलों में उम्र गुजार दी। जिन पर अंग्रेजों ने भारतीय लोगों को जुल्म  सताया शायद ही हमने उस सोच को हासिल किया हो। कठोर दंड देने के लिए, दंड ब्रिटिश शासन द्वारा दंडनीय था और यह एक काला पानी की सजा थी। आप इस पंक्ति के बारे में बहुत कुछ सुनें जरूर होगे आईए जानते हैं कि काला पानी की सजा पुरी कहानी कितना दर्दनाक है।

अंडमान निकोबार जेल में आज भी काले पानी की दर्दनाक कहानियां  गूंजती हैं। आज यह एक राष्ट्रीय स्मारक है, लेकिन बटुकेश्वर दत्त और वीर सावरकर जैसे कई सेनानियों के दुख की कहानी अभी भी जेल में सुनी जा सकती है जिन्हे काला पानी की सजा हुई।


जब भारत गुलामी में था ब्रिटिश सरकार भारतीयों का दमन कर रही थी। हजारों सेनानियों को फांसी दे दी गई तोपों के मुंह पर बांधकर उन्हें उड़ा दिया जाता था । कई ऐसे भी थे जिन्हें चुन चुनकर मारा जाता था। इसके लिए अंग्रेजों के पास सेल्युलर जेल का अस्त्र था।

इस जेल को सेलुलर नाम दिया गया था, क्योंकि यह पूरी तरह से एक कैदी से दूसरे कैदी के मिलने नही दिया जाता था। जेल में प्रत्येक कैदी के लिए एक अलग सेल थी। यहां का अकेलापन कैदी के लिए सबसे डरावना और खतनाक था।

कितने भारतीयों को मौत की सजा दी गई और कितने लोगों की मौत हुई, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन आज भी, काला पानी सजा एक भयानक है जिसके नाम सुनकर लोग आज भी कांप उठे है।

अंडमान के पोर्ट ब्लेयर शहर में स्थित जेल का किला इतना छोटा था कि यह किसी को भी आसानी से पार कर सकता था। लेकिन यह जगह गहरे समुद्र के पानी से घिरी हुई है, जहाँ से सैकड़ों किलोमीटर दूर पानी के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता था। यहां अंग्रेजी अधीक्षक अक्सर कैदियों को कहते थे कि जेल की दीवारें कौशल के साथ बनाई गई हैं, लेकिन कोई जगह नहीं है जहां से आप जा सकते हैं।


जेलर डेविड बैरी और मेजर जेम्स पैटरसन वेकर की सुरक्षा के लिए पहले 200 रिवाल्वर यहां लाए गए थे। उसके बाद 733 विद्रोहियों को कराची से लाया गया था। यहां भी सेनानियों को भारत और बर्मा लाया गया।

दोस्तो अग्रंजो ने स्वतंत्रता सेनानियों
बहुत जुल्म किया और हमे आजादी मिलने में ना जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों बलिदान दिए।  स्वतंत्रता सेनानियों बलिदान हम कभी ना भुले और हमेशा ही याद रखेगे ।


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